संगठनात्मक प्रांतीय कार्यकलापो का संक्षिप्त प्रतिवेदन

साथियों,

      जैसा कि सर्वविदित है कि राजस्थान ग्राम सेवक संघ (पंजी.) जयपुर की स्थापना 1965 मे की गई तथा संगठन के प्रान्तीय चुनाव 22 अगस्त 2004 को खाटूश्याम जी सीकर तथा 11 जनवरी 2009 को डिग्गी टोंक ने सम्पन्न होने के बाद संगठन के बैनर तले लोकतांत्रिक तरीके से पंचायत समिति , जिला एवं प्रान्त व्यापी आंदोलनों के माध्यम से राजस्थान सरकार का समय समय पर विशेष ध्यानाकर्षण कर ग्राम सेवक संवर्ग की प्रमुख मांगो का निराकरण कराने सहित ग्रामीण विकास एवं सामाजिक सुरक्षा के संदर्भ में सकारात्मक सुझाव देने के प्रयास किये गये है। जिसके संदर्भ में सक्षिप्त प्रतिवेदन प्रस्तुत है।
    • 1. ग्राम सेवक संवर्ग की वेतनमान संबधी मांगो पर माननीय मुख्यमंत्री जी के कक्ष में 05.01.1995 को विकास आयुक्त, वित्त सचिव, सचिव मुख्यमंत्री, निदेशक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज की उपस्थिति में समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श के पश्चात् अरूण कुमार समिति को वेतनमान संबंधी प्रकरण पर विचार कर एक मार्गदर्शिका तैयार करने का दायित्व सौपा, जो पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर जब राजस्थान सरकार वेतनमान निर्धारित करेगी, उस समय ग्राम सेवकों के प्रकरण में यह मार्गदर्शिका निर्णय लेने में सहायक होगी। निष्कर्ष:- अरूण कुमार समिति की रिपोर्ट न तो सार्वजनिक की गई और न ही पांचवे वेतनमान में राहत दी गईं
    • 2. श्री सचिव मुख्यमंत्री जी के कक्ष मे 06.10.1998 को ग्राम सेवक संवर्ग को प्रतिमाह 300 रू. हार्ड डयूटी/रोकडिया भता देने का निर्णय किया गया, लेकिन मूल पत्रावली ही गायब कर दी गई ।
    • 3. माननीय मंत्री ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निवास पर 3 जनवरी 2007 को शासन सचिव वित, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, आयुक्त पंचायती राज, उपसचिव (नियम) वित विभाग की उपस्थिति में संगठन प्रतिनिधियों के साथ आठ बिन्दुओं पर सकारात्मक सहमति बनने पर ग्राम सम्पर्क अभियान 2007 के प्रान्तव्यापी बहिष्कार आंदोलन को स्थागित किया गया।
    • 4. इस दौरान प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के कक्ष में 8 अगस्त 2007 को पुनः द्विपक्षीय वार्ता में ग्राम सेवको की मांगो के संबंध में नौ बिन्दुओ पर निर्णय किया गया तब 15 अगस्त 2007 को जोधपुर में होने वाले प्रदेशव्यापी महापडाव को स्थगित किया गया।
    • 5. मुख्यमंत्री कार्यालय में 26 मार्च 2008 को द्विपक्षीय वार्ता में माननीय मंत्री ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग , मंत्री संसदीय कार्य एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री जी , शासन सचिव पंचायती राज विभाग के सानिध्य में ग्राम सेवक संवर्ग की मांगो के संबंध में सात बिन्दुओ पर लिखित सहमति हुई तब ग्राम सेवको का प्रदेशव्यापी असहयोग आंदोलन स्थगित किया गया।
    • 6. माननीय मुख्यमंत्री जी के निवास पर 02 सितम्बर 2010 को माननीय मंत्री ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, माननीय सांसद बाडमेर, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री जी, शासन सचिव पंचायती राज विभाग, शासन सचिव ग्रामीण विकास विभाग के सानिध्य में ग्राम सेवक संवर्ग के ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र के चौदह बिन्दुओ पर सीएस राजन कमेटी के गठन पर सहमति बनने पर ग्राम सेवको के प्रदेशव्यापी नरेगा मुक्ति आंदोलन को स्थगित किया गया।




    उक्त आंदोलन एवं वार्ताओं के परिणाम


          उक्त प्रान्तव्यापी आंदोलनो के दौरान वार्ताओं में सहमति के उपरान्त राजस्थान सरकार द्वारा ग्राम सेवक संवर्ग की मांगो के संबंध में अग्रलिखित आदेश प्रसारित किये गये लेकिन जिला प्रशासन, जिला परिषद् एवं पंचायत समितियों के हठधर्मिता के कारण शासकीय आदेशो की मूल भावना के अनुरूप क्रियान्वित करने के प्रयास नही किये गये। जिसके कारण वर्तमान मे भी ग्राम सेवक संवर्ग में आक्रोश व्याप्त है।
    • 1. ग्राम सेवक संवर्ग को प्रथम चयनित वेतनमान के रूप में शतप्रतिशत पदोन्नत पद पंचायत प्रसार अधिकारी की वेतन श्रृंखला 5000-150-8000 देने का संशोधित स्पष्टीकरण के आदेश 12 जून 2008 को प्रसारित किया गया। लेकिन तत्पश्चात् विभागीय आदेश 11 नवम्बर 2008 के द्वारा 12 जून 2008 से पूर्व की तिथियो से इस आदेश को प्रभावी करने पर रोक लगा दी। इसी दौरान राजस्थान सरकार द्वारा अपने कार्मिको को छठे वेतनमान के परिलाभ 1 सितम्बर 2006 से देने की अधिसूचना 12 सितम्बर 2008 को जारी करने पर ग्राम सेवक संवर्ग को 1 सितम्बर 2006 से 12 जून 2008 तक एरियर से वंचित होना पडा। ऐसी विसंगति किसी भी केडर के साथ देखने को नही मिलेगी। उक्त प्रकरण में राजस्थान सरकार द्वारा माननीय सर्वाच्च न्यायालय में स्टेट बनाम जगदीश भाणूदा वगैराह की एस एल पी संख्या 10212/2010 प्रस्तुत की गई जो विचाराधीन हैं। इस संबंध में भी आंदोलन के दौरान शासन के समक्ष इस एस एल पी को वापस लेने पर सहमति बनने के बावजूद अभी तक वापस नही ली गई।
    • 2. पंचायतो में चुंगी अधिशेष कार्मिक/सहायक सचिव पद से ग्राम सेवको के पद पर पदस्थापित 589 कार्मिको को राजस्थान सरकार द्वारा 13 अगस्त 2008 को नियमित वेतन श्रंृखला 3200-85-4900 देने के आदेश प्रसारित किये गयें। इसी प्रकरण में राजस्थान सरकार ने माननीय सवोच्च न्यायालय मे एस एल पी (सिविल) संख्या 15738/2007 प्रस्तुत की गई जिसका निर्णय 25.10.10 को सुनाया गया। इस निर्णय में ग्राम सेवको को परीविक्षा काल पूर्ण करने की तिथि से उक्त नियमित वेतनमान देने के निर्देश हैं जो शासन के समक्ष विचाराधीन है।
    • 3. शासकीय आदेश दिनांक 2 सितम्बर 2010 की पालना में श्री सी एस राजन कमेटी ने ग्राम सेवक संवर्ग के 11 सूत्रीय मांग पत्र के 14 बिन्दुओ के संबंध मे राजस्थान सरकार को अभिशंषा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस प्रतिवेदन में बिन्दु संख्या 1, 7, 8, 9, 10 के संबंध में कुछ कुछ सकारात्मक अभिशंषा किये जाने पर विभाग द्वारा प्राथमिक कार्यवाही अमल में लाई गई। लेकिन नरेगा से मुक्ति के सहित शेष बिन्दुओ पर मिलीझुली अभिशंषा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली गईं जो चिन्ताजनक एवं विचारणीय विषय है। उक्त अभिशंषा प्रतिवेदन के बिन्दु संख्या 1 की पालना में विभागीय परिपत्र क्रमांक 3265 दिनांक 02.10.10 को जारी कर विभिन्न विभागो/निगम/बोर्ड इत्यादि से सैकण्डमेन्ट/प्रतिनियुक्ति/उल्टी प्रतिनियुक्ति के आधार पर ग्राम सेवको के रिक्त पदो पर पदस्थापित 2043+945 कुल 2988 कार्मिकों को पंचायती राज में समायोजित करने हेतु पांच बिन्दुओं के आधार पर जिला स्थापना समिति जिला परिषदों को निर्देश जारी किये लेकिन अब तक एक तिहाई कार्मिको के समायोजन के आदेश प्रसारित किये गये। शेष कार्मिको के मामले में आकाश से गिरे खजूर में अटके की कहावत चरितार्थ हो रही है। मंत्री मण्डलीय स्थाई समिति संख्या 5 (सेवा नियमो से संबंधित मंत्री मण्डलीय समिति) की आज्ञा संख्या 23/98 से डी आर डी ए में कार्यरत रहे (स्नातक) बायोगेस प्रसार कार्यकर्ताओं को लिखित परीक्षा से छुट दिये जाने पर ग्राम सेवको के रिक्त पदो पर नियमित नियुक्ति दी गई। लेकिन राजन कमेटी की अभिशंषा के उपरान्त डी आर डी ए के छंटनीशुदा कार्मिको का पंचायती राज में समायोजन नही करना शासन की भेदभाव पूर्ण एवं शोषित नीति प्रतित होती है। उक्त समायोजन प्रकरण लम्बित होने के कारण ग्राम सेवक संवर्ग में आक्रोश व्यापत होना स्वभाविक है। शासन इस प्रकरण पर गम्भीरता से विचार कर शेष कार्मिको का समायोजन तत्काल करे।
    • 4. पंचायती राज विभाग के आदेश क्रमांक 2009 दिनांक 28.08.03 के द्वारा 31.12.97 तक नियुक्त ग्राम सेवको की स्थाई वरियता सूची में कई विसंगतियां होने के बावजूद जारी की गई। इस वरिष्ठता सूची के आधार पर विभाग ने 13.12.06 को वर्ष 2004-05 एवं 2005-06 के लिए वरिष्ठता क्रमांक 431 से 441 तक , दिनांक 07.06.2007 के द्वारा वर्ष 2006-07 एवं 2007-08 के लिए वरिष्ठता क्रमाक 442 से 515 तक, दिनांक 10.07.09 के द्वारा वर्ष 2008-09 के लिये वरिष्ठता क्रमांक 516 से 557 तक दिनांक 12.10.10 द्वारा वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 के लिये वरिष्ठता क्रमांक 558 से 761 तक की वरीयता वाले ग्राम सेवको का पंचायत प्रसार अधिकारी के पदो पर पदोन्नति दी गई। इसी दौरान वरिष्ठता क्रमांक 1109 तक के अनुसूचित जाति तथा वरिष्ठता क्रमांक 1770 तक के अनुसूचित जन जाति वर्ग के ग्राम सेवको को भी पंचायत प्रसार अधिकारी के पदो पर पदोन्नति दी गई। विभागीय आदेश क्र. 4764 दि 29.12.07 प्रसारित होने के उपरान्त भी ग्राम सेवको के वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन प्रतिवर्ष माह अपे्रल में भरवाकर, ऐसे भरे हुये समस्त डोजियर जिला परिषद् कार्यालय द्वारा संधारित करने की कार्यवाही समय पर नही किये जाने से ग्राम सेवको को पदोन्नति देने के मामले में विभाग को कई परेशानियों को सामना करना पडता है। विभागीय आदेश क्र. 409 दि. 11.02.05, क्र. 1136 दि. 1.05.06 क्र. 4722 दि. 26.12.07 तथा क्र. 1728 दि. 28.4.08 के आदेश प्रसारित होने के बावजूद ग्राम सेवको की जिला एवं राज्य स्तर की वरिष्ठता सूची को आदिनांक तक अपडेट नही की जा सकी।
    • 5. निदेशक पंचायती राज विभाग के कक्ष में 13.03.90 को निर्णय हुआ कि अधिक से अधिक 15 पंचायतो का एक एक पंचायत प्रसार अधिकारी के पद होने चाहियें, तत्पश्चात् राज्य आयोजना बोर्ड की व्यास समिति के प्रतिवेदन के अनुसार प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त होने के उपरान्त माननीय मुख्यमंत्री द्वारा बजट घोषणा 2011-12 में पंचायत समिति स्तर के पंचायत प्रसार अधिकारी के 447 अतिरिक्त पदो के सजृन के स्थान पर 182 अतिरिक्त पद सृजित किये गये। संगठन की मांग है कि प्रशासनिक अनुमोदन के अनुरूप पंचायत प्रसार अधिकारी के 447 अतिरिक्त पदो का सृजन किया जावे।
    • 6. संगठन के बैनर तले विधान सभा के नये भवन पर प्रान्तव्यापी रैली के दौरान दर्ज मुकदमा संख्या 53/02 को शासन द्वारा दिनांक 10.11.05 को वापस लेने का आदेश प्रसारित किया गया।
    • 7. विभागीय आदेश क्रमांक 3265 दिनांक 7.9.2007 के द्वारा वर्ष 1999 में नवचयनित एवं नियुक्त ग्राम सेवको को प्रथम कार्य ग्रहण की तिथि से काल्पनिक वेतनमान तथा दिनांक 2 जून 2002 से वेतन निर्धारण एवं वेतन वृद्धि के परिलाभ देने के आदेश प्रसारित किये गये।
    • 8. विभागीय अर्धशाशकीय टीप क्रमांक 4746 दिनांक 29.12.07 के द्वारा ग्राम सेवको को वेतनमान 3200-4900 के स्थान पर 4000-6000 देने के लिए एस एन गुप्ता समिति को अग्र प्रेषित किया गया। प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग अ.शा.टीप क्रमांक 238 दिनांक 21.1.2010 के द्वारा श्रीमति कृष्णा भटनागर अध्यक्ष पे-पैनल कमेटी को भी उच्चतर ग्रेड पे देने की अभिशंषा की गईं।
    • 9. विभागीय आदेश क्रमांक समझौता वार्ता / 07/724 दिनांक 24.02.07 को प्रसारित किये जाने के बावजूद शासन द्वारा राजनैतिक कारणो से राज्य भर के सैकडो ग्राम सेवको के जिले से बाहर सैकडो किलोमीटर दूर स्थान्तरण किये गये जबकि अन्य अल्प वेतन भोगी कार्मिको के साथ ऐसा व्यवहार नही किया जाता है। विभागीय आदेश क्रमांक 2986 दि. 09.08.07 तथा क्र. 2946 दि. 08.09.10 के परिपत्र के बावजूद पंचायती राज विभाग मुख्यालय के द्वारा स्थानान्तरित ग्राम सेवको के परिवेदना प्रकरणो पर गम्भीरता से विचार नही किया जाता है। विभागीय आदेश क्र. 2445 दि 04.09.06 प्रसारित होने के बावजूद पंचायत समिति के विकास अधिकारियों द्वारा प्रायः ग्राम सेवको का 12 माह स्थानान्तरण करने की प्रक्रिया जारी रखते हैं जो नियमो का स्पष्ट उल्लंघन है।
    • 10. प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के अ.शा. पत्रांक 2868 दिनांक 31.8.2010 के उपरान्त सैकेण्डमेन्ट/प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापित 2988 कार्मिको (ग्राम सेवको) का छठे वेतनमान के अनुरूप 1 सितम्बर 2006 से वेतन निर्धारण की सार्थक कार्यवाही आदिनांक नही की गई।
    • 11. विभागीय आदेश क्रमांक 1345 दिनांक 2.5.06, क्रमांक 3323 दि.25.11.06 क्र.2476 दि. 29.6.07 क्र. 1807 दि. 2.5.08 तथा क्र. 3263 दि. 1.10.10 के उपरान्त ग्राम सेवको की सामुहिक एवं व्यक्तिगत समस्याओं के निराकरणार्थ पंचायत समिति कायालय में माह जनवरी, मार्च, मई जुलाई, सितम्बर, नवम्बर, की 15 तारीख को तथा जिला परिषद् कार्यालय में माह जनवरी, अप्रेल, जुलाई एवं अक्टूम्बर की 23 तारीख को विशेष प्रकोष्ठ की बैठके भी जानबूझ कर आयोजित नही की जाती है, जो जिला प्रशासन उत्तरदायी है।
    • 12. प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के आदेश दि. 27.4.06 तथा विभागीय आदेश क्र. 2457 दि. 5.9.06 एव क्र. 3615 दि 2.11.10 के द्वारा पंचायती समिति/ जिला परिषद् कार्यालय में लिपिकीय एवं अन्य कार्य हेतु ग्राम सेवको का पदस्थापन करने पर रोक है, के बावजूद अधिकारियों द्वारा ऐसे ग्राम सेवको को पदीय कर्तव्य हेतु कार्यमुक्त नही कर इन आदेशो का उल्लंघन कर रहे।
    • 13. विभागीय आदेश क्र. 3257 दि 01.10.10 के अनुपालना में ग्राम सेवको के विरूद्ध निलबिंत प्रकराणो की समीक्षा कर बहाल करने की प्रक्रिया धीमी गति से सम्पादित की जाती है। जिससे ग्राम सेवको को अतिरिक्त पंचायतो का कार्य करना पड रहा हैं।
    • 14. विभागीय परिपत्र क्र. 3174 दि. 15.11.06 के बावजूद ग्राम सेवक संवर्ग की परिवेदना निस्तारण हेतु पंचायत समिति एवं जिला परिषद् कार्यालय स्तर पर निर्धारित प्रपत्र (13 कॉलम) समस्या अंकन रजिस्टर का न तो संधारण किया जाता है और न ही परिवेदनाओं का नियत अवधि में निराकरण किया जाता हैं।
    • 15. विभागीय आदेश क्र. 5574 दि 17.11.06 प्रसारित होने के बावजूद पंचायत समिति कार्यालय में ग्राम सेवको एवं अन्य कार्मिको के यात्रा भत्ता एवं मेडिकल बिलो का भुगतान प्रथम आओ, प्रथम पाओ के सिद्धान्त की पालना नही की जाती है।
    • 16. विभागीय आदेश परिपत्र 01,02,07 एवं 3004 दि. 10.09.10 प्रसारित होने के उपरान्त प्रतिवर्ष 02 अक्टूम्बर (पंचायती राज स्थापना दिवस) के अवसर पर पंचायती राज संस्थाओं के कार्मिको / ग्राम सेवको / जनप्रतिनिधियों को उत्कृष्ट कार्य करने पर जिला व राज्य स्तरीय समारोह में प्रशंसा प्रमाण पत्र आदिनांक तक प्रदत नही किये गयें।
    • 17. माननीया मुख्यमंत्री द्वारा बजट घोषणा 2008-09 के पैरा 124 पर ग्राम सेवको के 20 प्रतिशत पदो पर 4200-115-6500 की वेतनमान दिये जाने की घोषणा की गई।
    • 18. विभागीय अधिसूचना 15.03.11 के द्वारा जिला स्तरीय दर निर्धारण समिति के तर्ज पर पंचायत समिति स्तर पर दर निर्धारण समिति के गठन के लिए पंचायती राज नियम 1996 के नियमो में संशोधन किया गया।
    • 19. शासन के समक्ष 05.08.10 , 06.08.10, 10.08.10, 11.08.10 17.08.10, 02.09.10 वार्ता के दौरान ग्राम सेवको को प्रतिमाह वेतन का 1/12 भाग हार्ड डयूटी अलाउन्स देने पर विचार किया गया, लेकिन वित्तीय स्वीकृति जारी नही की गई।
    • 20. विभागीय आदेश क्र. 2986 दि. 09.08.07 में उल्लेख 3 माह में एक बार शासन सचिव के साथ वार्ता बैठक करने सहित अन्य 9 प्रकरणो पर सहमति के बावजूद गम्भीरता से क्रियान्विति नही किये गयें। विभागीय प्रकोष्ठ बैठको में ग्रामीण विकास विभाग का प्रतिनिधि भाग नही लेते है। जिसके कारण नरेगा सहित ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में आ रही व्यावरिक कठिनाईयों का निराकरण नही हो पाता है। रोजगार गारन्टी में सरपंच, ग्राम सेवक सहित नरेगा कार्मिको का जॉब चार्ट एवं भूमिका का आदिनांक तक स्पष्ट नही की गई।
    • 21. संगठन के प्रान्तीय अधिवेशन में विभागीय मंत्री महोदय द्वारा 02.10.05 को पंचायती राज स्थापना स्थल को संरक्षित स्मारक बनाये जाने की घोषणा के उपरान्त सरकार द्वारा 50 लाख रू. में स्मारक का निर्माण करवाया गया। इस स्थल पर 46 वर्ष बाद ग्राम सेवक संघ ने प्रान्तीय अधिवेशन कर अलख जगाई, तत्पश्चात् यूपीए अध्यक्ष माननीया सोनिया गांधी के सानिध्य में मुख्यमंत्री महोदय द्वारा नागौर में 2.10.09 को पंचायती राज सशक्तिकरण की भी घोषणाए की गई। 02.10.05 को विभागीय मंत्री द्वारा अन्य राज्य की तर्ज पर ग्राम सेवक का पदनाम बदल कर ग्राम विकास अधिकारी करने की घोषणा की, लेकिन घोषणा की क्रियान्विति नही की र्गइं। स्टाप पैर्टन के बारे में राज्य आयोजना बोर्ड द्वारा तैयार प्रतिवेदन में ग्राम पंचायत स्तर पर 9175 पंचायत विकास अधिकारी एवं 9175 पंचायत सहायक के पद सृजित करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
    • 22. पिछले डेढ-दो दशको से ग्राम सेवको का कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी तथा सहकारिता विभाग के निरीक्षक के पदो पर बकाया पदोन्नतियां नही दी जा रही है।
    • 23. मुख्यमंत्री महोदय के निर्देशन में 01.12.09 के चिन्तन शिविर में 10 हजार से अधिक जनसंख्या वाले 88 ग्रामो के मास्टर प्लान तैयार करने हेतु नगर नियोजन विभाग को 3.30 करोड की राशि की स्वीकृति 09.02.11 के द्वारा जारी की गई। राज्य में सरकारी एवं निजी इंजनियरिंग कोलेजो की भारी संख्या होने के बावजूद ग्राम पंचायतो का मास्टर प्लान तैयार करने पर गम्भीरता से विचार नही किया जा रहा है। जिसके कारण नरेगा सहित ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के माध्यम से खर्च होने वाली करोडो रू. की धनराशि पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है, जो गम्भीर विचारणिय है। इन इंजिनियरिंग कोलेजो के माध्यम से आदर्श ग्राम की संकल्पना साकार हो सकती है।
    • 24. प्रशासन गांवो के संग अभियान 2010 के दौरान 3 लाख 63 हजार 905 लोगो को आबादी भूमि के पट्टे देकर वार्षिक लक्ष्य का 606.51 प्रतिशत हासिल किया गया, लेकिन इन अभियानो में ग्राम सेवको पर भारी दबाव बनाकर विधिक प्रक्रिया के विरूद्ध ऐसे पट्टे जारी करवा दिये गये। जो भविष्य में विधिक विवाद उत्पन्न करेगें।
    • 25. ग्राम सेवक संघ द्वारा सरकार का ध्यानाकषर्ण किये जाने के बावजूद कम्प्यूटर करिश्मा प्रोजेक्ट पर खर्च की गई करीब 50 करोड रू. की राशि राख बन गई, लेकिन शासन द्वारा किसी के खिलाफ दण्डनात्मक कार्यवाही नही की गई।
    • 26. ग्राम सेवक संघ द्वारा शासन का ध्यानाकर्षण किया गया कि अधिकारियो द्वारा नरेगा की 6 प्रतिशत प्रशासनिक अनुमत राशि खर्च करने में कई तरह की अनियमितताएं एवं घोटाले किये गये है। ऐसे प्रकरणो के मामले में राज्य के कई प्रशासनिक अधिकारियों को मामूली चेतावनी देकर छोड दिये गये है, जो गम्भीर चिन्ता का विषय है। राजस्थान के जल ग्रहण विकास एवं भू संरक्षण निदेशालय तथा सर्व शिक्षा अभियान के निर्माण कार्यो की उच्च स्तरीय जांच करने पर कई अनियमितताए प्रकाश में आएगी।
    • 27. पंचायत समिति एवं जिला परिषद् स्तर की स्थाई समितियों का गठन एवं शक्तियां का कागजी खानापूर्ति साबित हो रही है। लेकिन पंचायतो की पाक्षिक बैठके सहित वार्ड/ग्राम सभा की बैठको के बावजूद, पंचायत स्तर की स्थाई समिति की बैठको को लेकर ग्राम सेवको को प्रताडित किया जाता है।
    • 28. ग्राम विकास एवं सामाजिक सुरक्षा की अनेक कल्याणकारी योजनाओं तथा बीपीएल सर्वे पर भी कई बार प्रश्न चिन्ह लगते है। इन कार्यक्रमों को इकजाई कर हाईटेक युग में पैनी नजर रखने पर गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिये।
    • 29. पंचायती राजः ग्राम स्वराज में प्रतिनियुक्ति या संविदा पर आओ, कमाओ और चल पडों। पंचायती राज में 5 दशको से ऐसा ही चला आ रहा हैं, फिर भी सशक्तिकरण का नारा बुलन्द किया जाता है। पांच दशको के बावजूद पंचायती राज के लिए स्थाई सेवा केडर की संरचना करने के सकारात्मक प्रयास ही नही किये गये है।
  • !! जय हिन्द !!

    शुभेच्छु       
    हेमन्त कुमार पालीवाल